बेरोजगार पति को भरण पोषण नही देना पड़ा

                    Delhi High Court
   Sanjay Bhardwaj Vs State of Delhi


इस मामले में पत्नी द्वारा किए गए घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के मुकदमे में कोर्ट ने पत्नी को भरण पोषण देने से इस आधार पर मना कर दिया की पत्नी के द्वारा किए गए मुकदमों की वजह से पति की नौकरी जा चुकी थी और वह बेरोजगार हो चुका था और पत्नी पढ़ी-लिखी और कमाने में सक्षम थी तो बेरोजगार पति कहां से भरण पोषण देगा इस आधार पर पत्नी का भरण पोषण उच्च न्यायालय ने बंद कर दिया ।


इस मामले में पति भारत के बाहर विदेश में रहकर नौकरी कर रहा था फिर वह भारत आता है और भारत में शादी करता है शादी के कुछ दिन तक पति-पत्नी साथ रहते है उसकी बाद पत्नी और पति के मध्य विवाद उत्पन्न हो जाता है और पत्नी पति के ऊपर भारतीय दंड संहिता की धारा 498A और 406 के तहत मुकदमा लगा देती है जिसमें पुलिस पति के पासपोर्ट को जप्त कर लेती है जिसकी वजह से पति अपनी नौकरी पर नहीं जा पता है और बेरोजगार हो जाता है और पत्नी घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के तहत भी मजिस्ट्रेट के कोर्ट में मुकदमा करती है और भरण पोषण की मांग करती है जिसमें ₹5000 भारत पोषण देने का आदेश होता है जिसे पति सत्र न्यायालय में अपील दायर करता है वहां से भी उसके अपील को खारिज कर दिया जाता है तत्पश्चात पति उच्च न्यायालय में अपील दायर करता है ।


पति की तरफ से यह तर्क रखा जाता है की पत्नी ने अंग्रेजी से मास्टर्स की डिग्री ली है और MBA भी किया है । शादी के बायोडाटा में उसने दिखाया था कि वह एक अच्छी कंपनी में नौकरी भी कर रही थी पत्नी के द्वारा किए गए मुकदमों की वजह से उसका पासपोर्ट पुलिस ने बेवजह में जप्त कर लिया जिसकी वजह से वह अपने काम पर वापस नहीं जा पाया और उसकी नौकरी भी चली गई पत्नी के पास अपने आरोपों के संबंध में कोई साक्ष्य भी नहीं है । पत्नी पढ़ी लिखी है कमाने में सक्षम है और पत्नी की वजह से ही पति की नौकरी भी चली गई है पति खुद बेरोजगार हो गया है वह खुद अपना खर्च चलाने में असमर्थ हो गया है तो ऐसी में वह पत्नी को कहां से भरण पोषण दे पाएगा ।


 जब कोर्ट पूरे मामले को देखा है तो कोर्ट यही पता है की पत्नी के द्वारा किए गए मुकदमे में कोई साक्ष्य नहीं था इसके बावजूद भी पुलिस ने पासपोर्ट जप्त किया जिससे पति की नौकरी चली गई वह बेरोजगार हो गया कमाने में असक्षम हो गया और पत्नी जो है उच्च शिक्षित है कमाने में सक्षम है तो ऐसी में वह अपना खर्चा चला सकती पति के ऊपर इस परिस्थिति में बोझ डालने की कोई आवश्यकता नहीं है और कोर्ट जो पत्नी का भरण पोषण का आदेश हुआ था उसे इस आधार पर निरस्त कर देता है कि पति बेरोजगार है कुछ नहीं कर रहा है और पत्नी अपना खर्च चलाने में सक्षम है ।


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