क्या IPC Section 498A और DV act के तहत पति पर एक साथ दोनो मुकदमे नही चल सकते है - High Court latest judgement


यह मामला यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 498A को High Court से Quash कराने से संबंधित है । 

यह मामला :-

दानिश चौहान

बनाम 

डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस और अन्य 

के मामले में आया है।

यह आदेश जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय के द्वारा दिया गया है।

मामले के तथ्य :-

मामले में पत्नी , पति के विरुद्ध घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत सर्वप्रथम शिकायत दर्ज कराती है जब यह मुकदमा चलने लगता है तो उसके कुछ दिनों के बाद पत्नी फिर पति के विरुद्ध महिला थाना में भारतीय दंड संहिता की धारा 498a और 109 के तहत FIR दर्ज करा देती है ।


पति इस आधार पर हाईकोर्ट में मामले को क्वेश कराने के लिए 482 सीआरपीसी के तहत प्रार्थना पत्र लगाता है कि पत्नी ने पहले घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत आवेदन किया और मुकदमा चल रहा है फिर उन्हीं तथ्यों के आधार पर दोबारा पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 498A और 109 के तहत FIR दर्ज करा दिया , तो जब पहले से एक मुकदमा चल ही रहा था तो दूसरा मुकदमा नही चलना चाहिए तो ऐसे में FIR को क्वैश कर दिया जाए । 


कोर्ट मामले को देखता है और सुनवाई होती है जिसमें कोर्ट की तरफ से यह आदेश आता है कि पत्नी का अधिकार है कि वह घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत आवेदन करके अनुतोष प्राप्त कर सकती है तथा वह भारतीय दंड संहिता की धारा 498A के तहत सजा दिलवा सकती है, तो पत्नी का अधिकार है कि दोनों मुकदमें वह कर सकती है और यह दोनों मुकदमे एक साथ चल सकते हैं और इस आधार पर पति के क्वैशिंग के प्रार्थना पत्र को हाईकोर्ट रद्द कर देता है ।


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