IPC Section 498A case में घटना का समय और तारीख नही लिखा है तो मुकदमा रद्द होगा

                 Gujarat High Court

           Ashish Vs State of Gujarat


इस मामले में धारा 498A के मुकदमे को उच्च न्यायालय इस आधार पर रद्द करता है कि पत्नी ने अपने फिर में घटना का तारीख और समय नहीं दिखाया था किसी विशिष्ट घटना का उल्लेख नहीं किया था साथ ही साथ पति ने विवाह विच्छेद का मुकदमा दर्ज कराया उसके बाद पत्नी ने अपना आपराधिक मुकदमा दर्ज कराया तो कोर्ट ने इसे प्रतिशोध की कार्यवाही मानी और इन दो आधारों पर धारा 498A आईपीसी और अन्य धाराओं में दर्ज पति के विरुद्ध मुकदमे को रद्द कर दिया ।


पत्नी इस मामले में आरोप लगाती है की शादी के कुछ महीनो के बाद उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाने लगा दहेज मांगा जाने लगा और घर से निकाल दिया गया इसके बाद पत्नी ने एफआईआर दर्ज कराया जिसे रद्द करने हेतु पति पक्ष उच्च न्यायालय में 482 सीआरपीसी में प्रार्थना पत्र दाखिल करता है जिसे मेडिएशन सेंटर में भेजा जाता है जिसमें पत्नी पति के साथ रहने को तैयार होती है लेकिन फिर कुछ दिनों के बाद साथ नहीं रहना चाहती और मुकदमा लड़ना चाहती है उसके बाद मीडिया सन सेंटर से रिपोर्ट आता है 482 सीआरपीसी में उच्च न्यायालय में सुनवाई होती है जिसमें पति अपना पक्ष रखना है की पत्नी ने जो भी आरोप लगाए हैं बेटू के आरोप लगाए हैं साथ ही साथ उसने किसी विशिष्ट घटना का जब उसे प्रताड़ित किया गया इस संबंध में कोई उल्लेख नहीं किया है किसी भी समय और तारीख का जिक्र नहीं किया है साथ ही साथ पति ने विवाह विच्छेद का मुकदमा दायर किया उसके पश्चात प्रतिशोध लेने के लिए यह मुकदमा दायर किया है इन आधारों पर मुकदमे को रद्द किया जाए पत्नी पक्ष की तरफ से 482 सीआरपीसी को खारिज करने की मांग की जाती है 


जब कोर्ट दोनों पक्षों की सुन लेता है उसके बाद कोर्ट मामले में यह फैसला सुनाता हैं की पत्नी ने कोई विशिष्ट घटना का उल्लेख नहीं किया हैजो भी आरोप है सामान्य किस्म के आरोप हैं साथ ही साथ पति के विवाह विच्छेद के मुकदमा दर्ज करने के बाद प्रतिशोध लेने के लिए अपना आपराधिक मुकदमा दर्ज कराया है तो ऐसे में इस मुकदमे को चलाया जाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है और मामले को कोर्ट रद्द कर देता है  ।


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