यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 498A को हाईकोर्ट से दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के अंतर्गत रद्द कराने से संबंधित है और यह जजमेंट कर्नाटक हाईकोर्ट के द्वारा आया है और यह जजमेंट प्रकाश बनाम कर्नाटक सरकार के मुकदमे में आया है ।
इस मामले में पत्नी ने पति पक्ष पर भारतीय दंड संहिता की धारा 498A, 354, 323, 307, 504, 506, 120B, 109, 149 और 3/4 डीपी एक्ट के अंतर्गत FIR दर्ज कराया FIR दर्ज होने के बाद पुलिस ने छानबीन किया और कोर्ट में आरोप पत्र दायर किया फिर मजिस्ट्रेट ने संज्ञान लिया उसके बाद पति पक्ष मामले को रद्द कराने के लिए हाई कोर्ट में प्रार्थना पत्र देते हैं ।
दोनों पक्षों की सुनने के बाद हाईकोर्ट मामले को देखता है जिसमें हाईकोर्ट यह कहता है कि पत्नी ने जो भी आरोप लगाए हैं वह सामान्य किस्म के आरोप है और आरोप पत्र के साथ पुलिस ने ऐसा कोई साक्ष्य पेश नहीं किया है जिससे कि जो भी आरोप हैं उनके संबंध में साक्ष्य हो और साथ ही साथ पत्नी ने जो वारदात की घटना दिखाई है वह 19/12/2019 की दिखाई है और मामला 02/12/2020 को 1 साल के बाद दर्ज हुआ है।
मामले को इतना विलंब से दर्ज कराने का भी पत्नी ने कोई उचित कारण नहीं बताया है तो इन सब आधारों से यह प्रतीत होता है कि पत्नी ने यह जो मामला दर्ज कराया है वह पति पक्ष को परेशान करने के लिए दर्ज कराया है और मामले में कोई सत्यता नहीं है और इस वजह से यह मामला रद्द होने लायक है और इस वजह से हाई कोर्ट इस मुकदमे को रद्द कर देता है ।
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