क्रूरता के अभाव में पत्नी घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत किसी भी अनुतोष की हकदार नहीं - Supreme Court

माननीय सर्वोच्च न्यालय का एक बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण जजमेंट पति के पक्ष में आया है जिसमें माननीय न्यायालय ने यह बोला है कि क्रूरता के अभाव में पत्नी घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के तहत किसी भी प्रकार के अनुतोष की हकदार नहीं है।

तो अब यह पूरा मामला जान देते हैं -


इस मामले में पत्नी ने पति और पति के विरुद्ध घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के तहत याचिका न्यायालय के समक्ष दायर किया जिसमें मजिस्ट्रेट ने यह याचिका यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पत्नी के विरुद्ध कोई क्रूरता नहीं हुआ है तो इस वजह से पत्नी किसी प्रकार की कोई अनुतोष पानी की हकदार नहीं ।


याचिका खारिज हो जाने के बाद पत्नी ने सत्र न्यायालय में अपील किया जहां पर उसकी अपील को सत्र न्यायालय ने स्वीकार कर दिया और यह आदेश किया कि पत्नी को 2500 रुपया प्रतिमाह भरण पोषण और पति के घर में निवास का अधिकार दिया और बच्चे के लिए 4000 प्रतिमाह भरण पोषण का आदेश किया।


फिर इस आदेश के विरुद्ध पति ने हाई कोर्ट में रिवीजन डाला जिसमें माननीय न्यायालय ने जी कहा कि पत्नी अपने ऊपर हुए किसी प्रकार की कोई क्रूरता जैसे पैसे की मांग या उसके साथ मारपीट को साबित करने में असमर्थ है तो ऐसे में जब पत्नी अपने साथ हुए क्रूरता को न्यायालय में साबित नहीं कर पा रही है तो वह घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के तहत किसी प्रकार की कोई अनुतोष पाने की हकदार नहीं है और ऐसी में पत्नी को किसी प्रकार का कोई अनुतोष इस अधिनियम के तहत प्राप्त नहीं होना चाहिए सिर्फ बच्चे को 4000₹ प्रतिमाह भरण पोषण का आदेश जो था उसे बरकरार रखा व पत्नी को जो भी अनुतोष मिला था हाईकोर्ट ने उसे रद्द कर दिया ।


फिर पत्नी की तरफ से माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अपील की गई जिसमें माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी यही बात कही की पत्नी अपने साथ हुए किसी प्रकार की कोई क्रूरता जैसे दहेज की मांग मारपीट को साबित करने में असमर्थ है तो ऐसी में हाईकोर्ट का आदेश जो है वह सही है और उसे बरकरार रखा जाता है ।


इस जजमेंट से एक बात माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दी है कि यदि घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के तहत पत्नी मुकदमा लगाती है और उस मुकदमे में पत्नी यह बात साबित नहीं कर पाती है कि उसके साथ किसी प्रकार की कोई क्रुरता हुई है जैसे कि दहेज की मांग या मारपीट तो वह घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के तहत किसी प्रकार की कोई अनुतोष प्राप्त करने की हकदार नहीं है ।


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