यह जजमेंट 125 Crpc यानी भरण-पोषण के केस से संबंधित है जिसे मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के द्वारा तेजा बाई बनाम छिद्दू आर्मो के केस में दिया गया है।
इस केस में कुछ ऐसा मामला है कि जो पत्नी होती है वह सबसे पहले परिवार न्यायालय में 125 Crpc यानी मेंटेनेंस केस अपने पति के ऊपर भरण पोषण प्राप्त करने के लिए लगाती है ।
उसके बाद परिवार न्यायालय केस के सभी पहलुओं को देखता है साक्ष्य लेता है और पति-पत्नी दोनों पक्ष की सुनने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि जो पत्नी है वह अपने पति से बिना उचित कारण के ही अलग रह रही है और ऐसी पत्नी जो बिना उचित कारण अपने पति से अलग रहती है वह भरण-पोषण पाने की हकदार नहीं होती है और इस आधार पर पत्नी के 125 Crpc के एप्लीकेशन को परिवार न्यायालय खारिज कर देता है ।
उसके बाद पत्नी मध्य प्रदेश हाईकर्ट में परिवार न्यायालय के आदेश के खिलाफ रिवीजन प्रार्थना पत्र लगाती है उसके बाद हाईकोर्ट केस के सभी पहलुओं को देखता है और इस निष्कर्ष पर पहुंचता है की पत्नी ने जिरह में खुद स्वीकार किया है की उसका पति बीमार होने के कारण कोई काम नहीं करता है और पत्नी खुद अपने पति के साथ नहीं रहना चाहती है ।
तो ऐसे में जो पत्नी बिना उचित कारण अपने पति से अलग रह रही है वह भरण-पोषण पाने की हकदार नहीं होती है तो परिवार न्यायालय ने जो भी फैसला किया है वह सही है और न्याय हित के लिए आवश्यक है और पत्नी के रिवीजन पिटिशन को उच्च न्यायालय भी खारिज कर देता है ।
इस प्रकार से पति अपनी पत्नी को भरण-पोषण देने से बच जाता है ।
यदि आपका भी ऐसा ही मामला है कि आपकी पत्नी बिना उचित कारण के ही आप से अलग रह रही है और भरण-पोषण की मांग कर रही है तो ऐसे में आपकी भी पत्नी भरण-पोषण पाने की हकदार नहीं होगी क्योंकि कानून के अनुसार जो पत्नी बिना उचित कारण अपने पति से अलग रहती है वह भरण-पोषण पाने की अधिकार नहीं रखती है ।
आप की भी पत्नी अगर बिना उचित कारण आपसे अलग रह रही है और भरण-पोषण की भी मांग कर रही है तो ऐसे में आप अपनी पत्नी को पत्नी के केस को खारिज करा सकते हैं और इस जजमेंट का उपयोग यदि आप करते हैं तो इससे आपको काफी ज्यादा फायदा होगा ।
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