Saroj Vs Chandrakala Bai
Bomby High court
यह जजमेंट हाई कोर्ट के द्वारा दिया गया एक लैंडमार्क जजमेंट है जिसमें एक बहू को 125 Cr.p.c. के अंतर्गत यह आदेश किया गया है कि वह अपने सास को ₹1000 प्रति माह भरण पोषण के रूप में दें
तो चलिए अब इस पूरे मामले को समझ लेती हैं और यह समझ लेती है कि किन परिस्थितियों में हाईकोर्ट में एक बहू को यह आदेशित किया कि वह अपनी सास को ₹1000 भरण पोषण के रूप में दें ।
पूरा मामला :-
एक 65 वर्ष की विधवा महिला अपने बहू के ऊपर 125 सीआरपीसी के अंतर्गत मजिस्ट्रेट की कोर्ट में भरण पोषण के लिए आवेदन करती है जो बहू होती है वह भी विधवा होती है और जो इस मुकदमे की एक पक्षकार है। सास इकलौता बेटा होता है उसकी मृत्यु हो गई होती है और उसी की जो पत्नी है वह बहू है और मुकदमे की दूसरी प्रकार है ।
जो बेटा होता है वह जिला परिषद में नौकरी कर रहा होता है और नौकरी के दौरान ही बेटे की मौत हो जाती है तो ऐसे में अनुकंपा के आधार पर उसकी पत्नी को जिला परिषद में ही ₹10000 का नौकरी मिल जाता है और साथ ही साथ ग्रेजुएटी के ₹156000 भी प्राप्त हो जाते हैं जब बहू को नौकरी प्राप्त हो जाती है तो वह अपनी सास को घर से भगा देती है तो सास से परेशान होकर न्यायालय में 125 सीआरपीसी के अंतर्गत भरण-पोषण के लिए आवेदन करती है और 1500 रुपए प्रतिमा भरण पोषण की मांग करती है ।
लेकिन मजिस्ट्रेट महिला के आवेदन को इस आधार पर खारिज कर देते हैं कि 125 सीआरपीसी के अंतर्गत एक सास अपनी बहू से भरण-पोषण प्राप्त नहीं कर सकती है।
उसके बाद वह विधवा महिला सेशन कोर्ट में रिवीजन लगाती है उसके रिवीजन को सेशन कोर्ट स्वीकार कर देता है और यह कहता है कि जो वृद्ध विधवा महिला है उसके पति की भी मौत हो गई है इकलौता बेटे की भी मौत हो गई है और जो इकलौता बेटा था उसके अनुकंपा के आधार पर उसकी पत्नी को नौकरी मिली है ऐसे में उस वृद्ध महिला का कोई नहीं है तो भरण पोषण का दायित्व उसी बहू के ऊपर जा रहा है ।
और वृद्ध महिला इस लायक भी नहीं है कि वह कोई काम करके अपना भरण-पोषण कर सके और उसके पास आय का कोई अन्य साधन भी नहीं है और साथ ही साथ जब बहू को अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिली थी तो उसने शपथ पत्र दिया था कि वह अपनी सास का लालन-पालन भरण पोषण करेगी और नौकरी मिल जाने के बाद उसने उसे भगा दिया तो इन सब आधारों पर हम बहू को यह आदेश देते हैं कि वह अपनी सास को ₹1000 प्रतिमा भरण पोषण के रूप में दें ।
उसके बाद जो बहू होती है वह हाईकोर्ट में रिवीजन पिटिशन लगाती है वहां से बहू के रिवीजन पिटिशन को खारिज कर दिया जाता है और हाईकोर्ट भी यह आदेश जो सेशन कोर्ट ने दिया है उसे सही मानता ।
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Whatsapp no. - 9305583885
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