घरेलू हिंसा के केस में सास व ननद के पास क्या कानूनी अधिकार हैं ?
प्रश्न :- क्या सास और बिन ब्याही ननंद भी बहू पर घरेलू हिंसा का केस कर सकती है और ननंद और सास के पास बहू के खिलाफ क्या कानूनी अधिकार प्राप्त हैं ?
उत्तर:- हम सब ऐसा सोचते हैं कि घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 सिर्फ बहू के लिए ही बना है तथा वह घर के सदस्यों पर केस कर सकती है लेकिन ऐसा नहीं है सास और बिन ब्याही ननंद भी बहू के विरुद्ध घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत केस कर सकती है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार घरेलू हिंसा कानून सभी महिलाओं के लिए बना है इसमें वे सभी महिलाएं शामिल है जो किसी घर में रहती हैं वे उस घर में रहने वाले बाकी सदस्यों जो कि पुरुष या स्त्री दोनों हो सकते हैं कि खिलाफ घरेलू हिंसा के तहत केस कर सकती हैं यह प्रावधान पहले नहीं था बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसको मान लिया कि परिवार में रहने वाली प्रत्येक महिला को घरेलू हिंसा का अधिकार प्राप्त है वह महिला बहू के अलावा सास बिन ब्याही ननद या बेटी भी हो सकती है इस अधिनियम के तहत सास भी अपनी बहू के खिलाफ घरेलू हिंसा के केस में कर सकती है वह इसमें अपनी बहू को सजा भी करवा सकती है इस केस में अगर सास के नाम मकान है तो वह अपनी बहू को कोर्ट के आदेश से उस घर को खाली भी करवा सकती है चाहे तो अपने बेटे या उसके बच्चे ( पोते या पोतियों ) के खिलाफ भी शिकायत दर्ज करा सकती है, यह कानून घर में रहने वाली सभी महिलाओं के लिए है जो कुटुंब के भीतर होने वाली किसी किस्म की हिंसा से पीड़ित है इसमें अपशब्द कहे जाने, किसी प्रकार की रोक-टोक करने और मारपीट करना आदि प्रताड़ना के प्रकार शामिल हैं और वह प्रताड़ना किसी पुरुष या स्त्री दोनों के द्वारा दी जा सकती है । घर में आई बहू भी अपनी सास को प्रताड़ित कर सकती है तथा बिन ब्याही ननंद को भी परेशान कर सकती है तो यह कानूनी अधिकार बहू के अलावा सास और ननद को भी प्राप्त है ।
घरेलू हिंसा की परिभाषा क्या है ?
परिवार का कोई भी सदस्य पुरुष सदस्य या महिला सदस्य अगर किसी दूसरी महिला को मारते हैं, उसके साथ अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं उसे किसी भी चीज के लिए विवश करते हैं अथवा उसके साथ किसी अन्य प्रकार की शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हैं तो वह महिला के साथ घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के अंतर्गत दोषी होते हैं ।
सास व ननद के खिलाफ व्यापक तौर पर घरेलू हिंसा की निम्नलिखित प्रकार हैं-
शारीरिक हिंसा - बहू द्वारा अपनी सास या ननंद के साथ मारपीट करना, धकेलना, ठोकर मारना, लात मुक्का मारना, किसी अन्य प्रकार से शारीरिक पीड़ा या क्षति पहुंचाना शामिल है ।
मौखिक और भावनात्मक हिंसा - बहु द्वारा अपनी सास या ननंद का अपमान करना, चरित्र के ऊपर आरोप लगाना, ननंद का शादी नहीं होने पर अपमानित करना, ननद की नौकरी न करने पर या छोड़ देने के लिए विवश करना, ननंद को उसकी पसंद के व्यक्ति से विवाह न करने देना या किसी विशेष व्यक्ति से विवाह करने के लिए विवश करना, आत्महत्या करने की धमकी देना, ताने मारना या अन्य मौखिक दुर्व्यवहार करना आदि शामिल है ।
आर्थिक हिंसा - सास या ननंद को परेशान करना, उनको घर के साधन नहीं इस्तेमाल करने देना, घर पर कब्जा करना, किसी विशेष कमरे में जाने से रोकना, अगर सास के नाम पर मकान है तो उस मकान को खाली नहीं करना तथा घर के किसी हिस्से पर कब्जा कर लेना, घर के सामूहिक पैसे को बिना परिवार के सदस्यों के मर्जी के अपने निजी कार्यों के लिए इस्तेमाल करना इत्यादि प्रकार के कृत्य आर्थिक हिंसा में शामिल है ।
घरेलू हिंसा कानून के तहत सास के अधिकार - घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत सास को भी वे सभी अधिकार प्राप्त है जो कि घर ब्याह कर आई बहू को प्राप्त है।
इस कानून को लागू करने की जिम्मेदारी पुलिस अधिकारी, संरक्षण अधिकारी, सेवा प्रदाता या मजिस्ट्रेट की होती है जो कि महिला को उसके अधिकार दिलवाने में मदद करते हैं ।
एक सास के निम्नलिखित अधिकार है-
1- सास चाहे तो अपनी बहू के खिलाफ किसी भी राहत के लिए उसकी प्रताड़ना के खिलाफ आवेदन कर सकती है इसमें पीड़ित सास को घर में सुरक्षित हिस्से में रहने का अधिकार होगा अगर वह मकान सास के नाम पर है तो यह अधिनियम के बहू को घर से निकालने का अधिकार सास को प्रदान करता है ।
2- बहू की तरह सास को भी कोर्ट के आदेश के द्वारा पुलिस और संरक्षण अधिकारी द्वारा संरक्षण प्राप्त हो सकता है ।
3- सास अपनी बहू के अलावा उसके बेटे व उसके बच्चों के खिलाफ भी संरक्षण प्राप्त कर सकती है ।
4- पीड़ित सास संरक्षण अधिकारी से संपर्क कर सकती है।
5- पीड़ित सास नि:शुल्क कानूनी सहायता की मांग कर सकती है।
घरेलू हिंसा के तहत ननंद के अधिकार -
1- जिस भी मकान में ननंद अपनी भाभी (बहु) के साथ रह रही हो अगर वह मकान दादालाई संपत्ति हो तो उसमें उस ननंद का भी अधिकार है तो ननंद अपने हिस्से से अपनी भाभी को दूर कर सकती है ।
2- क्षतिपूर्ति की मांग कर सकती है ।
3- बहू और सास की तरह ननंद को भी कोर्ट के आदेश के द्वारा पुलिस और संरक्षण अधिकारी द्वारा संरक्षण प्राप्त हो सकता है।
4- ननंद अपनी भाभी , भाई या उनके बच्चे के खिलाफ कोर्ट से संरक्षण प्राप्त कर सकती है ।
5- पीड़ित ननंद कोर्ट से निशुल्क कानूनी सहायता ले सकती है।
6- पीड़ित ननंद भी संरक्षण अधिकारी से संपर्क कर सकती है।
कोर्ट में शिकायत कैसे करें-
1-सास या ननंद अपने विरुद्ध हुए घरेलू हिंसा की शिकायत मजिस्ट्रेट के समक्ष कर सकती है या संरक्षण अधिकारी के समक्ष प्रार्थना पत्र दे सकती है ।
2- केस जीतने के लिए सबसे पहले केस का मजबूत होना अति आवश्यक है, शिकायत को साफ स्पष्ट और सीधे रूप में लिखे तथा घटनाओं का जिक्र एकरूपता में करे
3- आप अपनी शिकायत धारा 12 के अंतर्गत करें तथा कोर्ट से और भी रिलीफ लेने के लिए बाकी धाराओं का उपयोग करें जैसे की धारा 19 के तहत सास व ननद घर में अपने अधिकार मांग सकती हैं, तथा बहू को घर से निकालने के लिए सास धारा 19(1)A के तहत बहू को घर से निकालने का मांग कर सकती है।
4- अगर सास या ननद के साथ मार पिटाई की है तो उसका मेडिकल रिपोर्ट प्रार्थना पत्र के साथ जरूर लगाएं ।
5- अगर आपके पास मारपीट का कोई साक्ष्य या फोटोग्राफ्स हो तो उसे भी प्रार्थना पत्र के साथ जरूर लगाएं ।
6- घटना का चश्मदीद गवाह हो तो उसका जिक्र प्रार्थना पत्र में जरूर करें और उसकी गवाही भी करा सकते है ।
Whatsapp no. - 9305583885
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