आईपीसी धारा 201 ( IPC section 201 in Hindi ) भारतीय दंड संहिता की धारा 201

IPC sec 201 - झूठे साक्ष्य देना / साक्ष्य का विलोपन


आइपीसी की धारा 201 का विवरण


आईपीसी की धारा 201 के अनुसार - जो भी कोई  यह जानते हुए या यह विश्वास करने के कारण रखते हुए कि कोई अपराध किया गया है , उस अपराध को किए जाने के किसी साक्ष्य का विलोप , इस आशय से कारित करेगा कि अपराधी को वैध दंड से प्र्तिच्छादित  करें या उस अपराध से संबंधित कोई ऐसा जानकारी देगा , जिसके गलत होने का उसे ज्ञान या विश्वास है ,

यदि अपराध मृत्यु दंड से दंडनीय हो - यदि वह अपराध जिसके किए जाने का उसे ज्ञान या विश्वास है, मृत्यु से दण्डनीय हो तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे 7 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दण्डित किया जाएगा और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा। 

यदि अपराध आजीवन कारावास से दंडनीय  हो- और वह अपराध  आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक के कारावास से दंडनीय हो तो उसे किसी एक अवधि के लिए जिसे 3 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से  दंडित किया जाएगा साथ ही वह आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदाई होगा

 यदि अपराध 10 वर्ष से कम के कारावास से दंडनीय हो - और वह यदि वह अपराध 10 वर्ष से कम कारावास से दंडित हो , तो उस अपराध के लिए उपबंधित कारावास  की दीर्घतम अवधि की एक चौथाई के लिए जो उस अपराध के लिए उपबंधित कारावास की हो , उसे दंडित किया जाएगा या आर्थिक दंड से या दोनों से दंडित किया जाएगा 

लागू अपराध - अपराध के साक्ष्य  का विलोपन अथवा झूठे साक्ष्य देना  

1- यदि अपराध से मृत्यु से दंडनीय हो -

सजा - 7 वर्ष का कारावास + आर्थिक दंड 

यह एक जमानती गैर संगेय  अपराध है और सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है

2-  यदि अपराध आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक के कारावास से दंडनीय हो -

 सजा - 3 वर्ष का कारावास + आर्थिक दंड 

यह एक जमानती , गैर संज्ञेय अपराध  है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है 

3- यदि अपराध 10 वर्ष से कम के कारावास से दंडित हो - 

सजा -अपराध के लिए उपबंधित कारावास की अवधि की एक चौथाई अवधि या दोनों से दंडित किया जाएगा 

यह एक जमानती गैर संज्ञेय अपराध तथा अदालती कार्यवाही अपराध अनुसार होगी 

यह अपराध  समझौता करने योग्य नहीं है


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