Supreme Court quash False IPC Section 498A case

                     Supreme Court of India

          Sunder Babu Vs State of Tamilnadu 



इस मामले में पति के 482 Crpc के अपील को माननीय सर्वोच्च न्यायालय स्वीकार करता है और झूठे धारा 498A IPC के मुकदमे को रद्द कर देता है ।


मामला कुछ इस प्रकार से है 25 नवंबर 1998 को शादी होती है ।1 जुलाई1999 को जो पति होता है वह अमेरिका चला जाता है।  26 फरवरी 2000 को जो पत्नी होती है आरोप लगती है कि उस से दहेज मांगा गया मारा पीटा गया और धारा 498A IPC और अन्य धाराओं में पति के विरुद्ध आपराधिक मुकदमे हेतु FIR दर्ज कराती है ।


उसके बाद पुलिस छानबीन करती है और 8/6/2000 को पुलिस न्यायालय में आरोप पत्र प्रेषित कर देती है ।

इसी दौरान जो पत्नी होती है विवाह विच्छेद के लिए भी मुकदमा दायर करती है जो 12/8/2001 को एक पक्षीय निर्णय हो जाता है।


जब पति हाई कोर्ट में 482 Crpc के तहत मुकदमे को रद्द करने हेतु प्रार्थना पत्र लगता है तो उसमें वह तर्क देता है कि उसके ऊपर जो भी पत्नी ने आरोप लगाए थे वह गलत है , फर्जी है , उसे झूठा फसाया गया है, मामले को देरी से दर्ज कराया गया है , देरी होने का उचित कारण नहीं बताया गया है , पुलिस के छानबीन के दौरान कोई भी साक्ष्य नहीं मिला है, पूरा मामला फर्जी है और इसे रद्द किया जाए । 


पत्नी की तरफ से पति के 482 Crpc प्रार्थना पत्र का विरोध किया जाता है जिस कारण से उच्च न्यायालय पति के प्रार्थना पत्र को अस्वीकार कर देता है । 


उसके पश्चात पति अपील में सर्वोच्च न्यायालय जाता है जहां पर उसके द्वारा तर्क रखा जाता है कि उच्च न्यायालय ने उचित निर्णय नहीं दिया है जो मामला है पूरी तरह से फर्जी है , किसी प्रकार का कोई साक्ष्य मामले में पुलिस को नहीं मिला है , पति को फसाया गया है , देरी से मामला दर्ज कराया गया है , जिसे रद्द किया जाए।


जब कोर्ट भी पूरी परिस्थितियों को और तथ्यों को देखा है तो कोर्ट यही पता है कि पुलिस के अन्वेषण के दौरान इस मामले में किसी प्रकार का कोई साक्ष्य नहीं मिला है ना ही मामले में प्रथम दृष्टि या मामला ही बन रहा है और पति के पास उचित आधार है तो ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय पति के अपील को स्वीकार करता है और इस मामले को रद्द करने हेतु आदेश देता है ।


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