पत्नी के द्वारा पति और पति के रिश्तेदारों पर धारा 498A का फर्जी मुकदमा लगाना क्रूरता है - हाईकोर्ट

दिल्ली  उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में कहा कि अगर पत्नी अपने पति और पति के रिश्तेदारों पर निराधार आरोप लगा कर आपराधिक मुकदमा दर्ज कराती है तो यह पति के साथ क्रूरता होगी 


जस्टिस विपिन सांघी और जसमीत सिंह की डिविजन बेंच एक परिवार न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें परिवार न्यायालय ने पति को विवाह विच्छेद का डिक्री दे दिया था 


हाई कोर्ट के अनुसार पति और पति के रिश्तेदारों के खिलाफ आपराधिक आचरण के गंभीर और अप्रमाणित आरोप लगाने वाली पत्नी के द्वारा इस आचरण को पति के विरुद्ध क्रूरता माना जाएगा और क्रूरता  हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार विवाह विच्छेद का एक वैध आधार है 


इस मामले में पति पत्नी ने 2007 में शादी कर ली थी और 2011 में एक बच्चे का जन्म हुआ था उसके कुछ दिनों के बाद पत्नी ने अपने पति और पति के घर वालों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए , 406, 323 और 34 के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज कराया था उसके बाद पति और पति के रिश्तेदारों को जिनके खिलाफ मुकदमा दर्ज था उन्हें हिरासत में ले लिया गया था और पति के माता-पिता को एक दिन में ही रिहा कर दिया गया था और  पति 3 दिनों के लिए हिरासत में रहा था 

इस मामले में पति और पति के घर वालो को न्यायालय ने रिहा कर दिया था और फैमली कोर्ट ने पत्नी द्वारा बेबुनियाद , झूठे आरोप लगाने को पति के विरुद्ध क्रूरता ना फैमिली कोर्ट में पति के तलाक दे दिया और पत्नी ने इस खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया इस पूरे मामले को देखने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि विश्वास जो वैवाहिक बंधन की न्यू है को अपील करता पत्नी द्वारा पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया है उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि पति और पति के परिवार वालों को पत्नी के हाथों नुकसान उठाना पड़ा और हो सकता है कि कोई रुला ना हो


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