Wife के विरुद्ध Sec 340 Crpc स्वीकार हुआ और अपराधिक मुकदमा दर्ज करने का आदेश हुआ - High Court Allahabad


                          इलाहाबाद उच्च न्यायालय 
               सत्येंद्र कुमार गुप्ता बानाम उत्तर प्रदेश राज्य



इस मामले में पत्नी का भरण पोषण के आदेश को उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने इस आधार पर रद्द कर दिया की पत्नी के विरुद्ध भरण पोषण के मुकदमे में फर्जी साक्ष्य देने के लिए धारा 340 Crpc का प्रार्थना पत्र स्वीकार हुआ था और फर्जी साक्ष्य देने के लिए अपराधिक मुकदमा दर्ज करने का आदेश हुआ था । 


मामले का तथ्य कुछ इस प्रकार से है ।

पत्नी के द्वारा पति के विरुद्ध 125 सीआरपीसी के तहत भरण पोषण के लिए मुकदमा दायर किया गया और पति ने विवाह विच्छेद हेतु विवाह विच्छेद का मुकदमा दायर किया ।


न्यायालय ने पति के विवाह विच्छेद के मुकदमे से खारिज कर दिया व पत्नी के 125 सीआरपीसी के मुकदमे में ₹3500 प्रतिमाह पत्नी को और ₹3500 प्रति माह बेटे को भरण पोषण देने हेतु पति को आदेश किया । 


पति ने अपने विरुद्ध हुए भरण पोषण के आदेश के विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में अपील दायर पति के द्वारा न्यायालय में यह तर्क रखा गया कि पत्नी ने जब भरन पोषण का मुकदमा दायर किया था, उसके बाद पति ने पत्नी के द्वारा दिए गए फर्जी साक्ष्य के लिए 340 सीआरपीसी के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज करने का के लिए एक आवेदन किया था, लेकिन न्यायालय ने बिना पति के 340 सीआरपीसी के प्रार्थना पत्र को सुने ही पत्नी के पक्ष में भरण पोषण का आदेश कर दिया उसके कुछ दिनों के बाद 340 सीआरपीसी में सुनवाई हुई और कोर्ट ने माना की पत्नी ने फर्जी साक्ष्य दिया है और इस कारण से उसके विरुद्ध आपराधिक मुकदमा दर्ज करने का आदेश किया ।


पति ने यह कहा कि साक्ष्यों को न्यायालय ने फर्जी माना और पत्नी के पक्ष में भरण पोषण का आदेश कैसे हो सकता है ? आदेश गलत हैं,  इसे रद्द किया जाए ।


जब न्यायालय पूरे मामले को देखा है तो न्यायालय यहीं पता है की पत्नी के विरुद्ध फर्जी साक्ष्य देने हेतु आपराधिक मुकदमा दर्ज करने का आदेश हो चुका है और न्यायालय उन्ही साक्ष्यो के आधार पर पति के विरुद्ध पोषण देने का आदेश भी किया है । तो जब उन साक्ष्यों को फर्जी मान लिया गया तो उनके आधार पर फैसला किया जाना और पत्नी के पक्ष में भरण पोषण का आदेश किया जाना सही फैसला नही है । न्यायालय उस आदेश को निरस्त कर देता है और पुनः नया आदेश करने का आदेश जारी करता है ।


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