23 साल बाद मिली झूठे 498A से मुक्ति

बिना गलती 23 साल तक दहेज का मुकदमा झेला |
22 साल की उम्र में भाभी ने दहेज का केस किया था , 45 साल की उम्र में क्लीनचिट मिली

  

एक बेकसूर युवक ने दहेज उत्पीड़न के आरोपों को 23 साल तक झेला । 

केस के वक्त उसकी उम्र 22 साल थी । मौजूदा समय में  उसकी उम्र 45 साल है और दो बच्चों का पिता है उसे अब इन आरोपों से क्लीनचिट मिली है । रोहिणी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद कुमार को कोर्ट ने फैसले में कहा कि 23 साल पहले वर्ष 1995 में केदार नामक युवक पर उसकी भाभी द्वारा किए गए दहेज के केस में कहीं भी घटना के दिन समय का जिक्र नहीं है । यह आरोप भी साबित नहीं हुआ कि उसने भाभी का कैसे उत्पीड़न किया । प्राथमिकी में सिर्फ 12 लोगों के नाम जोड़ दिए गए । मामले में पुलिस ने आठ लोगों को गवाह बनाया था । 

"यह विडंबना है कि बेबुनियाद आरोपों के तहत एक व्यक्ति नें दो दशक लंबा समय अदालत के चक्कर काटने में गुजार दिया"

-अदालत की टिप्पणी

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने जून 2016 में गवाहों के बयान दर्ज होने की प्रक्रिया पूरी की ।

शिकायतकर्ता  महिला की शादी आरोपी केदार के भाई से दिसंबर 1990 में हुई थी । महिला का कहना था कि शादी के बाद ससुराल वाले उससे रंगीन टीवी व बीसी आर लाने की मांग कर रहे थे । उससे एक लाख नकद भी मांगे गए । महिला ने वर्ष 1995 में केदार और उसके परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मुकदमा दर्ज कराया था ।

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