सवाल :-
1:- पत्नी कोर्ट में झूठा शपथपत्र दे तो पति क्या करे ?
2:- भरण पोषण के केस में पत्नी झूठ बोले तो पति क्या करे ?
3:- झूठा शपथपत्र देने के लिये पत्नी को सजा कैसे दिलाये ?
4:- झूठा शपथपत्र देने के लिये कानून और सजा
5:- पत्नी को सजा कैसे दिलाये ?
जबाब :-
बहुत बार ऐसा देखा जाता है की पत्नी 125 Crpc यानी मेंटेनेंस केस में झूठ बोलती है झूठा साक्ष्य देती है या फिर झूठा शपथ पत्र देती है ।
सर्वोच्च न्यायालय के रजनेश बनाम नेहा वाले केस के बाद अब पति और पत्नी दोनों को शपथपत्र देना होता है कई बार पत्नी उस शपथपत्र में भी झूठ बोल देती है ।
आज मैं आपको इसी का उपाय बताऊंगा कि अगर आपकी पत्नी ने आपके ऊपर मेंटेनेंस का केस किया है और वह उसमें झूठा साक्ष्य दिया है या झूठा शपथपत्र दिया है तो आप क्या कर सकते हैं और आप किस प्रकार से अपनी पत्नी को झूठा साक्ष्य या झूठा शपथपत्र देने के लिए सजा दिला सकते हैं ?
जब न्यायालय में आपकी पत्नी झूठा साक्ष्य या झूठा शपथपत्र दे दे और आपके पास इस बात के सबूत हो कि आपकी पत्नी ने झूठ बोला है तो ऐसे में आपको धारा 340 Crpc के अंतर्गत उसी न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र देना होगा जिस न्यायालय में आपकी पत्नी ने झूठ बोला है या झूठा शपथपत्र दिया है ।
इस प्रार्थना पत्र में आपको न्यायालय को यह बात बतानी होगी कि आपकी पत्नी ने न्यायालय में क्या झूठा साक्ष्य दिया है या फिर शपथपत्र में क्या झूठ बोला है और न्यायालय से प्रार्थना करना होगा कि न्यायालय पत्नी के द्वारा झूठा शपथपत्र पत्र देने के लिए या झूठा साक्ष्य देने के लिए पत्नी के ऊपर कानूनी कार्यवाही करें ।
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आपके प्रार्थना पत्र दे देने के बाद न्यायालय इस संबंध में पत्नी से जवाब मांगेगा और पत्नी के जवाब दे देने के बाद इस संबंध में पति के अधिवक्ता और पत्नी के अधिवक्ता न्यायालय में बहस करेंगे और उसके बाद यदि यह बात सिद्ध हो जाती है कि पत्नी ने न्यायालय के समक्ष झूठा साक्ष्य दिया है या फिर झूठा शपथपत्र दिया है तो ऐसे में न्यायालय पत्नी के ऊपर झूठा साक्ष्य देने के लिए या झूठा शपथपत्र न्यायालय में देने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 193 के अंतर्गत केस दर्ज कर सकता है जिसमे 7 वर्ष तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है ।
अगर आप धारा 340 Crpc के अंतर्गत न्यायालय में प्रार्थना पत्र देते हैं और न्यायालय आपके प्रार्थना पत्र को खारिज कर देता है और पत्नी के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं करता है और आप न्यायालय के इस आदेश से संतुष्ट नहीं हैं तो ऐसे में आप अपीलीय न्यायालय में अपील भी कर सकते हैं ।
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