इस मामले में जो पत्नी थी वह पुलिस में कार्यरत थी और उसने 5 साल की देरी से धारा 498 का मुकदमा दर्ज कराया और मारपीट का आरोप लगाया लेकिन मार पिटाई के संबंध में किसी प्रकार का कोई मेडिकल रिकॉर्ड नहीं लगाया जिससे प्रतीत हो कि उसे छोटी आई है साथ ही साथ दहेज का भी कोई विशिष्ट आप नहीं लगाया जो भी आरोप लगे सामान्य किस्म के आरोप लगे और पति के तलाक के मुकदमा दायर करने के बाद उसने धारा 498A को दर्ज कराया तो ऐसे में कोर्ट ने कहा कि यह मामला देरी से दर्ज हुआ है और देरी का उचित कारण नहीं बताया गया है कोई मेडिकल रिकॉर्ड नहीं लगा है साथ ही साथ पति के मुकदमा दर्ज करने के बाद प्रतिशोध में दर्ज कराया गया है इस कारण से इसे रद्द किया जाता है
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