Supreme Court order - झूठे मुकदमों में पत्नी को भरण पोषण नहीं मिलेगा

माननीय सर्वोच्च न्यायालय का आदेश- "यदि पत्नी अपने ऊपर हुए घरेलू हिंसा को कोर्ट में साबित नहीं कर पाती है तो वह घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत भरण-पोषण या कोई अन्य अनुतोष पाने का हक नहीं रखती है ।"



मामला -
Sangeeta Saha
                   VS 
   Abhijit Saha

मामले का संक्षेप में तथ्य :-

पत्नी निचली अदालत में पति के खिलाफ घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत आवेदन करती है जिसमें पत्नी के पक्ष में आदेश आता है कि पति उसे निवास हेतु स्थान दे और 2500₹ प्रतिमाह भरण-पोषण पत्नी के लिए तथा 4000₹ प्रतिमाह भरण-पोषण बच्चे को दे ।


उसक बाद पति इस आदेश के विरुद्ध हाई कोर्ट में अपील करता है और पति की तरफ से तथ्य रखे जाते हैं की पत्नी ने जो भी आरोप लगाए थे उसे वह साबित नहीं कर पाएगी सारे आरोप झूठे साबित हुए तो ऐसे में पत्नी भरण-पोषण पाने का या फिर कोई अन्य अनुतोष पाने का हक नहीं रखती है तो जो आदेश हुआ है उस आदेश को रद्द कर दिया जाए ।


हाईकोर्ट जब मामले को देखता है तो हाईकोर्ट भी यही पाता है कि पत्नी ने जो भी आरोप अपने आवेदन में लगाए थे वह आरोप को साबित नहीं कर पाई सारे आरोप झूठे साबित हो गए तो ऐसे में यदि पत्नी को मेंटेनेंस मिलता है तो यह गलत होगा ।


हाईकोर्ट यहां पर टिप्पणी करता है कि यदि घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत कोई महिला आवेदन करती है और किसी के विरुद्ध आरोप लगाती है और आरोप को वह साबित नहीं कर पाती है तो वह इस अधिनियम के तहत अनुतोष पाने का हक नहीं रखती है 


और ऐसे में हाईकोर्ट पत्नी के पक्ष में हुए 2500₹ प्रतिमाह भरण पोषण के आदेश व निवास आदेश को रद्द कर देता है सिर्फ बच्चे का जो 4000₹ प्रतिमाह भरण पोषण का आदेश है उसी को जारी रखने का आदेश देता है ।


फिर पत्नी सुप्रीम कोर्ट भी जाती है तो सुप्रीम कोर्ट भी हाई कोर्ट के ही आदेश को सही ठहराता है और सिर्फ बच्चे का ही मेंटेनेंस जारी रखने का आदेश देता है ।


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