अगर आप के ऊपर कोई झूठा मुक़दमा हो जाता है तो हमारे कानून में यह प्रावधान है की आप दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 का उपयोग करके हाई कोर्ट से उस झूठे मुकदमे को रद्द करा सकते है |
माननीय सर्वोच्च न्यायलय ने झूठे मुकदमे को दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत रद्द करने पर एक अति महत्वपूर्ण जजमेंट दिया हैं जिसमे माननीय न्यायलय ने कुछ परिस्थितिया बताई है जिनके तहत मुकदमे को रद्द किया जा सकता है |
अगर आप पर भी कोई झूठा मुक़दमा हुआ है तो माननीय न्यायलय के आदेशानुसार निम्न परिस्थितियों के तहत आप भी अपना मुक़दमा रद्द करा सकते है |
1. जहा प्रथम सूचना रिपोर्ट या शिकायत में लगाये गए आरोप, भले ही उन्हें उनके अंकित मूल्य पर लिया गया हो, प्रथम दृष्टया कोई अपराध नहीं बनाता है या अभियुक्त के खिलाफ मामला नहीं बनता है|
2. जहा प्रथम सूचना रिपोर्ट में आरोप और अन्य सामग्री, FIR के साथ यदि कोई हो, दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 155 (2) के दायरे में मजिस्ट्रेट के आदेश के अलावा, दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (1) के तहत पुलिस अधिकारियो द्वारा की गयी जाच को न्य्योचित ठहराते हुए संज्ञेय अपराध का खुलासा न करता हो |
3.जहा प्राथमिकी में किये गए निर्विवाद आरोप या शिकायत या उनके समर्थन में एकत्र किये गए सबूत किसी भी अपराध का खुलासा नहीं करते और आरोपी के खिलाफ मामला नहीं बनाते है |
4. जहा प्राथमिकी के आरोप संज्ञेय अपराध का गठन नहीं करते है केवल एक गैर संज्ञेय अपराध का गठन करते है, एक पुलिस अधिकारी द्वारा किसी मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना भी जाच की अनुमति नहीं है |
5. जहा प्राथमिकी में लगाये गए आरोप इतने बेतुके और अस्वाभाविक है जिनके आधार पर कोई भी विवेकपूर्ण व्यक्ति कभी भी इस निष्कर्ष पर नहीं पहुच सकता है कि आरोपी के खिलाफ कार्यवाही के लिए पर्याप्त आधार है |
6. जहा संहिता या सम्बंधित अधिनियम जिसके तहत एक आपराधिक कार्यवाही शुरू की जाती है के किसी भी प्रावधान में कार्यवाही की संस्था और निरंतरता के लिए और जहा कोई विशिष्ट कानूनी प्रतिबन्ध है संहिता या सम्बंधित अधिनियम में प्रावधान पीड़ित पक्ष की शिकायत के लिए प्रभावी निवारण प्रदान करता है |
7. जहा एक आपराधिक कार्यवाही में प्रकट रूप से दुर्भावना के साथ भाग लिया जाता है या अभियुक्त पर व्यक्तिगत द्वेष सामाप्त करने की दृष्टि से स्थापित की जाती है |
उपरोक्त आधारों पर मुकदमे को रद्द कराया जा सकता है |
शीर्षक - State of Hariyana and other vs Ch. Bhajan lal and others
Supreme Court of India
Whatsapp no. - 9305583885
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