पति कहीं भी रहे कोर्ट उसके विरूद्ध क्रियान्वयन की कार्यवाही कर सकता है | Execution for 125 crpc

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 125 Crpc के अंतर्गत भरण-पोषण के मुकदमे में अपने आदेश में कहा कि भले से ही पति, जिस न्यायालय ने 125 Crpc के अंतर्गत भरण पोषण का आदेश दिया हो उसके क्षेत्राधिकार के बाहर रहता हो फिर भी पति जहां भी निवास करता हो चाहे वह क्षेत्र न्यायालय के क्षेत्राधिकार से बाहर ही क्यों ना हो वहां भी 125 सीआरपीसी के अंतर्गत पारित भरण पोषण के आदेश का क्रियान्वयन कराया जा सकता है ।

125 Crpc execution



न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह की पीठ ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की जिसमें पत्नी ने 125 सीआरपीसी में पारित भरण पोषण के आदेश के क्रियान्वयन के लिए याचिका लगाई थी लेकिन उस याचिका को फैमिली कोर्ट ने यह कहकर खारिज कर दिया था कि पति न्यायालय के क्षेत्राधिकार के बाहर रहता है तो जहां पति निवास करता है वही क्रियान्वयन के लिए याचिका लगाया जा सकता है और पत्नी के याचिका को खारिज कर दिया इसी आदेश को चुनौती दी गई थी।


इस मामले में पति और पत्नी की शादी 1988 में हुई थी, कुछ दिन बाद पति पत्नी अलग हो गए पत्नी दिल्ली में रहने लगी और पति बिहार रहने लगा उसके बाद पत्नी ने 125 सीआरपीसी के अंतर्गत अपने और बच्चे के लिए भरण-पोषण के लिए याचिका लगाई जिसमें कोर्ट ने पत्नी के लिए 1000₹ व 500₹/बच्चे के लिए प्रतिमाह पति को भरण-पोषण देने का निर्देश दिया ।


उसके बाद पत्नी ने इस आदेश के क्रियान्वयन के लिए 128 Cr.p.c. के अंतर्गत दिल्ली परिवार न्यायालय में याचिका लगाई लेकिन दिल्ली में फैमिली कोर्ट ने यह कहकर पत्नी के याचिका को खारिज कर दी कि पति बिहार में रहता है और वह क्षेत्र इस न्यायालय के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत नहीं आता है इस वजह से यह याचिका बिहार में जहां क्षेत्राधिकार बन रहा है वहां लगाया जाना चाहिए ।


उसके बाद जब मामला दिल्ली उच्च न्यायालय में पहुंचा तो उच्च न्यायालय ने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि उस महिला और उसके बच्चों को अपने अधिकारों का लाभ उठाने के लिए दर-दर भटकना पड़ा है।


बेंच ने यह टिप्पणी कि "सीआरपीसी की धारा 128 के तहत मजिस्ट्रेट के पास उस स्थान पर भरण-पोषण आदेश लागू कराने की शक्ति है जहां भी वह व्यक्ति हो सकता है । यानी न्यायालय ने अपने इस आदेश में स्पष्ट कर दिया कि भले से ही पति कहीं भी रहता है किसी भी क्षेत्र में निवास करता है चाहे वह क्षेत्र न्यायालय के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आ रहा हो या ना आ रहा हो यदि 125 सीआरपीसी के अंतर्गत आदेश का क्रियान्वयन कराना है तो ऐसे में न्यायालय के पास यह शक्ति है कि वह जहां भी पति निवास करता है वहां न्यायालय के आदेश के क्रियान्वयन लिए आदेश कर सकता है ।"


और उच्च न्यायालय ने उस फैमिली कोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया और पुनः सुनवाई के लिए परिवार न्यायालय में ही मामले को भेज दिया।


Download this judgement

Post a Comment

0 Comments