इंदौर
झूठे दहेज केस झेल रहे पतियों के लिए दीप्तांशु ने कायम किया एक मिशाल । IIT कानपुर के टॉपर रहे दीप्तांशु शुक्ला फ़ोटो में बहुत खुश नजर आ रहे हैं। कारण है, खुद व अपने माता-पिता पर लादे गए फर्जी दहेज प्रताड़ना के मामले से बरी होना। लेकिन, इसके लिए दीप्तांशु ने काफी संघर्ष किया है और अपना केस खुद लड़ा और खुद पर लगे दहेज प्रताड़ना के झूठे आरोप को अंतत: गलत साबित किया।
दीप्तांशु ने अपने पर लगे केस को खुद लड़ने की ठानी और आखिर कोर्ट से दोषमुक्त सिद्ध हुए।
फैसला न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी समरेश सिंह की कोर्ट द्वारा 31 मार्च 2015 को दिया गया था ।
दीप्तांशु पर पत्नी प्रज्ञा द्विवेदी ने दहेज प्रताड़ना का झूठा केस लगाया था । वह अपने सास-ससुर के साथ नहीं रहना चाहती थी और उसने इंदौर में किराये पर अलग मकान भी ले लिया था । सास-ससुर से अलग रहने के बाद भी प्रज्ञा नहीं मानी और उसने दीप्तांशु पर तलाक के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया । हालांकि, दीप्तांशु ने इसके लिए काउंसिलिंग भी करवाई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ और बीबी प्रज्ञा ने उस पर तलाक के साथ ही दहेज प्रताड़ना का मामला दायर कर दिया ।
उसके बाद ना सिर्फ दीप्तांशु की नौकरी छूटी बल्कि हवालात में रहना पड़ा, पुलिस के डंडे भी खाने पड़े । ढाई साल में 150 से ज्यादा बार पेशी हुई पर दीप्तांशु ने हार नहीं मानी । उन्होंने अपनी पैरवी खुद करने का मन बनाया । कानून की किताबें पढ़ी, सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के फैसले समझे और खुद केस लड़ा । दो साल चार महीने बाद कोर्ट ने सभी आरोपों को झूठ मानते हुए कोर्ट ने युवक व उसके मां-पिता को दोषमुक्त कर दिया।
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