बिना उचित कारण पति से अलग रहने वाली पत्नी को भरण पोषण पाने का अधिकार नही

Maintenance Case


इंदौर फैमिली कोर्ट - ने एक भरण पोषण 125 Cr.P.C. के मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि, "बिना उचित कारण पति के घर छोड़ने वाली पत्नी को भरण-पोषण पाने का अधिकार नहीं है ।"

और इसी के आधार पर कोर्ट ने पत्नी द्वारा पति के पर लगाया गया भरण-पोषण के केस को खारिज कर दिया ।

बिना उचित कारण पति से अलग रहने वाली पत्नी को भरण पोषण पाने का अधिकार नही



द्वितीय अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय इंदौर एम.पी.एस. अरोरा ने उक्त फैसला को सुनाया । 


मनीषा धनारे निवासी द्वारकापुरी ने फैमिली कोर्ट में पति शैलेंद्र धनारे निवासी गंगा नगर सनावद रोड खरगोन के खिलाफ भरण-पोषण का केस  किया था । उसमें युवती ने इस आधार पर भरण-पोषण की मांग की थी कि वह कम पढ़ी हुई है और कोई काम नहीं जानती और अपना खर्च चला पाने में सक्षम नही है । पति इंजीनियर है और उसकी कमाई अच्छी है । पति का अपना मकान होने के साथ कई एकड़ जमीन भी है ।

 

शैलेंद्र की ओर से एडवोकेट समीर वर्मा ने जवाब पेश कर कहा कि युवती ने पति के खिलाफ दहेज प्रताड़ना ( IPC sec 498a ) , घरेलू हिंसा आ(DV act ) , भरण-पोषण ( Cr.P.C. 125 ) के साथ तलाक ( HMA sec 13 ) के लिए भी केस लगा रखा है । इन केसों के कारण पति को बार-बार अदालत में आना पड़ रहा है ।

इस कारण उसकी आय भी प्रभावित रही है । उस पर वृद्ध माता-पिता की देखभाल का भी जिम्मा है वो लोग भी आश्रित है । 




एडवोकेट ने कोर्ट को यह भी बताया कि युवती ने महिला थाना इंदौर में भी दहेज प्रताड़ना की शिकायत की थी । उसमें उसने कहा कि पति उसे खरगोन स्थित ससुराल में रखना चाहता है , जबकि वह इंदौर में पति के साथ रहना चाहती है ।


पति के पास है हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 9 की डिक्री


अधिवक्ता ने न्यायालय को यह भी बताया की पति ने जिला न्यायालय खरगोन में साथ रहने के लिए दाम्पत्य अधिकार की पुनर्स्थापना का केस लगाया था । कोर्ट ने युवती को पति के साथ रहने का आदेश दिया है , किंतु वह पति के साथ रहने नहीं आई और फैमिली कोर्ट में तलाक का केस लगाया । 



कोर्ट ने फैसले में कहा दस्तावेज और उक्त परिस्थितियों के दृष्टिगत पाया है कि युवती का भरण-पोषण का आवेदन स्वीकार करने योग्य नहीं है क्योकि पत्नी के पास पति से अलग रहने का कोई उचित आधार नही है और पति के पास कोर्ट की हिन्दू विवाह अधिनियम के धारा 9 की डिक्री भी है जिसमे कोर्ट ने पत्नी को आदेश किया है कि वह अपने पति के साथ रहे जिसके बावजूद भी पत्नी साथ रहने नही आई । 

अत: इस आधार पर पत्नी का भरण पोषण वाद  निरस्त किया जाता है ।



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