प्रश्न :-
1:- जमानत कैसे लिया जाता है ?
2:- जमानती अपराध क्या होता है ?
3:- गैर - जमानती अपराध क्या होता है ?
4:- अग्रिम जमानत क्या होता है ?
5:- रेगुलर बेल क्या होता है ?
6:- जमानत कितने प्रकार का होता है ?
7:- जमानाती कौन हो सकता है ?
8:- सी.आर.पी.सी. की धारा 439 / Crpc section 439
9:- सी.आर.पी.सी. की धारा 438 / Crpc section 438
उत्तर :-
जमानत क्या हैं -
What is bail ? -
जब किसी व्यक्ति को पुलिस गिरफ्तार करके जेल भेज देती है या जब किसी व्यक्ति को डर होता है कि वह किसी अपराध में गिरफ्तार किया जाएगा तो आरोपी कोर्ट के में जेल से बाहर आने के लिए या गिरफ्तारी से बचने के लिए एक अर्जी देता है जिसे जमानत कहा जाता है ।
गिरफ्तारी से बचने के लिए आरोपी कोर्ट के सामने अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल करता है और यदि वह गिरफ्तार है तो जेल से बाहर आने के लिए रेगुलर बेल की अर्जी दाखिल करता है ।
जमानत के आधार पर कितने प्रकार का अपराध होता है ?
जमानत के आधार पर अपराध दो प्रकार के होते हैं।
1:- जमानती अपराध
2:- गैर जमानती अपराध
1:- जमानती अपराध :-
जमानती अपराध वे अपराध होते हैं जिसमें थाने से ही जमानत दिए जाने का प्रावधान है आरोपी थाने में ही बेल बांड भरता है और फिर उसे जमानत दे दी जाती है । इसमें धमकी , थोड़ी बहुत मारपीट , लापरवाही से गाड़ी चलाना आदि जैसे मामले आते हैं ।
2:- गैर जमानती अपराध :-
इस तरह के मामले में मामले में गंभीर किस्म के कुछ अपराध आते हैं, इसमें कोर्ट के सामने तमाम फैक्ट पेश किए जाते हैं और फिर कोर्ट जमानत का फैसला करती है । कुछ अपराध जैसे की लूट , डकैती , हत्या , हत्या की कोशिश , रेप , अपहरण आदि गैर जमानती अपराध है ।
जमानत कितने प्रकार की होती है ?
जमानत दो प्रकार से ली जा सकती है ।
1:- Anticipatory Bail
2:- Regular Bail
1:- Anticipatory Bail या अग्रिम जमानत :-
एंटीसिपेटरी बैल का प्रावधान Crpc की धारा 438 में किया गया है । अगर किसी आरोपी को यह अंदेशा होता है कि उसे किसी मामले में गिरफ्तार किया जा सकता है तो वह गिरफ्तारी से बचने के लिए कोर्ट में अग्रिम जमानत की मांग कर सकता है यह फैक्ट के ऊपर निर्भर करता है कि कोर्ट उसे अग्रिम जमानत देगी या नहीं ।
जब किसी आरोपी को जमानत दी जाती है तो पर्सनल बांड भरने के साथ-साथ किसी एक निश्चित राशि की रकम का जमानती पेश करना होता है उस व्यक्ति को जिसे जमानत दी गई होती है ।
2:- Regular Bail :-
रेगुलर बेल का प्रावधान Crpc की धारा 439 में किया गया है जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया जाता है और उसका केस ट्रायल कोर्ट में पेंडिंग होता है, तो वह व्यक्ति रेगुलर बैल के लिए कोर्ट में सी.आर.पी.सी. की धारा 439 के तहत Applaction दे कर जमानत मांग कर सकता है । ट्रायल कोर्ट या हाई कोर्ट फैक्ट्स के आधार पर जमानत का फैसला करती है कोर्ट चाहे तो जमानत दे भी सकती है और नहीं भी दे सकती है यह फैक्ट के ऊपर निर्भर करता है ।
इस धारा के तहत आरोपी को अंतरिम जमानत या फिर रेगुलर बेल दी जाती है। इसमें Bail मिलने के बाद आरोपी को बेल बांड भरना होता है , और जमानत के लिए दिए गए निर्देशों का पालन करना होता है ।
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