माता-पिता से अलग रहने का दबाव बनाए पत्नी तो हिंदू पति के पास होगा तलाक देने का यह एक आधार:- सुप्रीम कोर्ट

प्रश्न:-


1:- मेरी पत्नी माता - पिता से अलग रहने को कहती है क्या करूँ ?
2:- क्रूरता के आधार पर पत्नी से तलाक कैसे ले ?
3:- क्या माता पिता से अलग रहने के लिए पत्नी द्वारा दबाव बनाना क्रुरता है ?
4:- पत्नी से तलाक लेने के आधार क्या है ?
5:-पत्नी माता पिता से अलग रहने की , और धमकी दे तो क्या यह तलाक का आधार है ?


Hindu marriage act section 13


सर्वोच्च न्यायालय ने एक दंपति के तलाक के मामले में अहम फैसला सुनाते हुए टिप्पणी किया है कि हिंदू बेटा उस स्थिति में अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है , अगर पत्नी पति को उसकी माता-पिता से अलग रहने को कहती है या अलग रहने की दबाव बनाने की कोशिश करती है ।


सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने एक दंपति के तलाक के मामले में अहम फैसला सुनाते हुए अपने आदेश में टिप्पणी किया है कि अगर पत्नी बिना किसी ठोस कारण के अपने पति पर उसके परिवार वालों से अलग रहने का दबाव डालती है या उससे अलग रहने के लिए बार-बार कहती है तो यह प्रताड़ना के दायरे में आएगी और पति के ऊपर क्रुरता माना जाएगा ।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में पत्नी ने आत्महत्या करने की और पति को धमकी दिया है , साथ ही इस बात के लिए दबाव बनाया कि वह अपने परिवार को छोड़कर माता-पिता से अलग उसके साथ रहे । जबकि पति के माता-पिता उसी पर आर्थिक तौर पर निर्भर थे , महिला ने पति पर अफेयर का भी झूठा आरोप लगाया था इन तमाम हरकतों को कोर्ट ने पति के ऊपर क्रुरता माना और इस आधार पर पति के पक्ष में तलाक की मंजूरी दे दी ।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए. आर. दवे और जस्टिस एल. नागेश्वर राय की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि बेटे द्वारा माता-पिता की देखभाल करना भारतीय संस्कृति का एक हिस्सा है । सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि महिला चाहती थी कि उसका पति अपने परिवार से अलग हो जाए वह भी बिना किसी ठोस कारण के जबकि पति की आमदनी पर उसके माता-पिता भी आर्थिक रूप से निर्भर थे , और अपना देखभाल कर पाने में पति के माता-पिता लाचार थे । भारतीय संस्कृत में ऐसा चलन नहीं है कि कोई लड़का शादी के बाद पति के कहने पर अपने परिवार से अलग हो जाये जब उसकी आमदनी पर माता -पिता व परिवार निर्भर हो , यह भी जिक्र किया गया कि माता - पिता अपने बेटे को पढ़ाने से लेकर उसकी परवरिश करते हैं ऐसे में बेटे की नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी है कि वह माता-पिता की हर तरह से देखभाल करें ।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बेटे द्वारा माता-पिता की परवरिश करना भारतीय संस्कृति में शामिल है । सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि हिंदू समाज की मान्यताओं के अनुसार बेटे का दायित्व है कि वह माता-पिता की बेहतर देखरेख करें व उनका लालन-पालन करें ऐसे में कोई भी बेटा यह बर्दाश्त नहीं करेगा कि उसकी पत्नी बूढ़े माता-पिता से अलग रहने का दबाव डालें इस मामले में पत्नी ने अलग रहने की जो हरकत की है वह क्रूरता के दायरे में आती है और पति के ऊपर एक क्रुरता मानी जाएगी पत्नी के द्वारा ।

सर्वोच्च न्यायालय में अपने फैसले में कहा कि पत्नी के द्वारा आत्महत्या का प्रयास या धमकी या माता-पिता से अलग रहना  क्रूरता के अंतर्गत आता है ।

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि महिला ने आत्महत्या करने का प्रयास किया था , इसके बाद पति ने उसे बचाया महिला को कुछ होने की स्थिति में पति कानूनी उलझनों में फसेगा और उसका जीवन की शांति खत्म हो जाएगा कानूनी उलझनों के कारण उसे मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ेगी सिर्फ इसी आधार पर भी तलाक की मंजूरी मिल सकती है ।
साथ ही में महिला ने पति किसी और के साथ अफेयर का भी आरोप लगाया जबकि सारे आरोप गलत सिद्ध हुए , सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में आत्महत्या का प्रयास और उसकी धमकी व अन्य आरोपों के  क्रूरता के दायरे में आते हैं ।

जिला न्यायालय ने पति के पक्ष में फैसला दिया था और पति को तलाक की मंजूरी दी थी जिसके बाद पत्नी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी निचली अदालत के फैसले को,  हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को पलट दिया था , अब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए निचली कोर्ट के आदेश को बहाल कर दिया ।

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