High Court quash IPC Section 498A false case

                        कलकत्ता हाई कोर्ट
         मनोहर मांडल बनाम पश्चिम बंगाल राज्य


इस मामले में धारा 498 ए भारतीय दंड संहिता और अन्य धाराओं में पति पक्ष के ऊपर दर्ज मुकदमे को उच्च न्यायालय ने इस आधार पर रद्द कर दिया है कि पति ने विवाह विच्छेद कर लिया है उसके पश्चात पत्नी ने मुकदमा दर्ज कराया

पत्नी जब मुकदमा दर्ज कर देती है तो पति पक्ष उच्च न्यायालय में 482 सीआरपीसी में मामले को रद्द करने के लिए प्रार्थना पत्र लगते हैं ।


पति पक्ष की तरफ से यह तर्क रखा जाता है कि जब विवाह हो गया और विवाह के बाद एक बच्ची पैदा हो गई उसके बाद पत्नी काफी ज्यादा क्रूर हो गई उनसे लड़ाई झगड़ा करने लगी, मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने लगी और लड़ाई झगड़ा करने लगी और 2014 में खुद ही घर छोड़कर चली गई उसके पश्चात 2015 में पति ने विवाह विच्छेद के लिए परिवार न्यायालय में मुकदमा दायर किया जिसे कोर्ट ने स्वीकार किया और विवाह विच्छेद की डिग्री पारित की 2016 में पति को विवाह विच्छेद की डिग्री मिल गई ।


इसके पश्चात 2020 में पत्नी ने पुलिस स्टेशन में कंप्लेंन किया जिसके आधार पर यह मुकदमा दर्ज हुआ यह मुकदमा प्रतिशोध लेने के लिए दर्ज कराया गया है और काफी ज्यादा समय के बाद दर्ज कराया गया है जिसे रद्द किया जाए ।


कोर्ट जब पूरे मामले को देखा है तो कोर्ट इस मामले में यही पता है की पत्नी ने इस मामले को प्रतिशोध लेने के लिए दर्ज कराया है और भजनलाल के मामले जो सुप्रीम कोर्ट ने दिया है इस आधार बनाकर इस मामले को रद्द कर देता है ।


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