पति और पत्नी के कानूनी अधिकार :-
जानकारी कभी व्यर्थ नही जाती है, कब और कहा आप कि जानकारी से आप के या आप के किसी जानने वाले के काम आ जाये कुछ कहा नही जा सकता इसलिये आप को हमेशा अपने ज्ञान को बढ़ाना चाहिए ।
यहां आप को पति और पत्नी के कुछ महत्वपूर्ण अधिकार बताए गए है जो सभी पति और पत्नी को पता होना चाहिए ।
दूसरी पत्नी, पहली पत्नी के जीवित रहते भरण पोषण पाने की नहीं होती है हकदार
यदि कोई पुरुष ( हिन्दू ) पहले से ही शादीशुदा है और उसका विवाह विच्छेद नहीं हुआ है, और उसकी पहली पत्नी जीवित है। इस स्थिति में यदि वह किसी अन्य स्त्री से विवाह कर लेता है तो जिससे उसने दूसरा विवाह किया है, वह भरण-पोषण पाने की हकदार नहीं होगी क्योंकि उसका दूसरा विवाह शुन्य विवाह होगा ।
यदि पति भिखारी भी हो तो उससे उसकी पत्नी को हैसियत के अनुसार गुजारा भत्ता देना ही होगा
यदि कोई व्यक्ति बिल्कुल गरीब है और बेरोजगार है या फिर भिखारी है ऐसी स्थिति में भी उस व्यक्ति की हैसियत के अनुसार उसे अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देना ही होगा क्योंकि एक पत्नी का अपने पति के हैसियत के अनुसार गुजारा भत्ता पाने का अधिकार होता है ।
पत्नी खुद अपना भरण-पोषण करने के लिए सक्षम है तो पति से गुजारा भत्ता पाने की नहीं है हकदार
पंजाब - हरियाणा हाई कोर्ट ने भरण पोषण से संबंधित एक आदेश में कहा कि यदि पत्नी अपना भरण पोषण करने में सक्षम है तो वह पति से Maintence लेने की हकदार नही होगी ।
पत्नी के साथ सिर्फ मारपीट करना ही नहीं बल्कि उसे भरण पोषण नहीं देना भी उसके ऊपर एक प्रकार का हिंसा है
यदि कोई पति अपनी पत्नी के साथ आर्थिक दुर्व्यवहार यानी अपनी पत्नी को उन संसाधनों का उपयोग करने से वंचित करना जिसका उपयोग करने की वह हकदार है, तो यह एक प्रकार की मानसिक हिंसा होती है और इसे भी क्रूरता की श्रेणी में रखा गया है क्योंकि जो पत्नी अपना भरण-पोषण चलाने में सक्षम नहीं है उसका यह अधिकार है कि उसका पति उसका भरण - पोषण और उसकी अर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति करेगा ।
पति के ऊपर पति के ऊपर झूठे व्यभिचार (Adultery) का आरोप लगाना पति के साथ है क्रुरता
यदि कोई पत्नी अपने पति के ऊपर बेबुनियाद व्यभिचार का आरोप लगाती है तो यह भी पति के ऊपर क्रुरता माना जाएगा ।
पति भी ले सकता है हिंसा के आधार पर पत्नी से तलाक
यदि कोई पत्नी अपने पति के साथ हिंसा करती है चाहे वह हिंसा शारीरिक हिंसा हो अथवा मानसिक हिंसा तो पति भी इस आधार पर कोर्ट में विवाह विच्छेद की याचिका दायर कर सकता है और डाइवोर्स ले सकता है।
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